उद्देश्य प्रस्ताव 1946/Objective Resolution In Hindi

13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की तीसरी बैठक में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा के समक्ष उद्देश्य प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव में भारत के भावी प्रभुत्व संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।

इस लेख में हम उद्देश्य प्रस्ताव क्या है, उद्देश्य प्रस्ताव के मुख्य बिंदु क्या-क्या थे, उद्देश्य प्रस्ताव कब पारित हुआ, जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे और इन्हें सरल शब्दों में समझने का प्रयास करेंगे।

उद्देश्य प्रस्ताव क्या है?

मार्च 1946 में कैबिनेट मिशन भारत आया। जिसके सदस्य लाॅरेंस, स्टेफर्ड क्रिप्स व ए.वी. एलेग्जेंडर थे। इस मिशन ने भारत की संविधान सभा के गठन के लिए कुछ सुझाव और प्रस्ताव दिए।

कैबिनेट मिशन योजना द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों के तहत 6 दिसंबर 1946 को भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा की पहली बैठक और प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को हुआ।

कैबिनेट मिशन के अंतर्गत क्या-क्या प्रस्ताव रखे गए, कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग की क्या प्रतिक्रिया रही आदि तथ्यों के बारे में विस्तृत जानकारी जानने के लिए पढ़ें: कैबिनेट मिशन

संविधान सभा की तीसरी बैठक (13 दिसंबर 1946) में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा के समक्ष उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया। यह एक ऐतिहासिक प्रस्ताव था जिसमें स्वतंत्र भारत के संविधान के मूल आदर्शों और सिद्धांतो की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।

यह उद्देश्य प्रस्ताव ही आगे चलकर भारत के संविधान की रूपरेखा और प्रस्तावना बना। उद्देश्य प्रस्ताव में भारतीय संविधान के मुख्य लक्ष्य जैसे – सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय, विचारों की स्वतंत्रता आदि सम्मिलित थे।

उद्देश्य प्रस्ताव को 22 जनवरी 1947 को सर्वसम्मति द्वारा स्वीकृत कर लिया गया।

उद्देश्य प्रस्ताव के मुख्य बिंदु या प्रावधान

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने भाषण में कहा कि हमें अन्य देशों के स्वतंत्रता संग्रामों और क्रांतियों से सीखना चाहिए, किस प्रकार इन देशों ने अपने आदर्शों और सिद्धांतो से एक इतिहास रच दिया।

हम नकल करने वालो में से नहीं है। हमे भी इन राष्ट्रौ के आदर्शों और सिद्धांतो को अपनाना चाहिए। लेकिन हम सिर्फ उन्हीं आदर्शों को सम्मिलित करेंगे जो यहां के लोगो के स्वभाव के अनुरूप हो और उन्हें स्वीकार हो।

हमे यूरोप और अन्य पश्चिमी देशों की सफलताओं से सीखना है और उनकी विफलताओं से बचने का प्रयास करना है। हमें उनकी उपलब्धियों और प्रयोगों से सीखकर उनसे भी बेहतर राष्ट्र का निर्माण करना है।

लोकतन्त्र की रूपरेखा आपसी सहमति और विचार विमर्श द्वारा तैयार की जाएगी। भारतीय संविधान का उद्देश्य होगा कि लोकतंत्र के उदारवादी विचारों और आर्थिक न्याय के समाजवादी विचारों का एक – दूसरे में समावेश किया जाए और भारतीय संदर्भ में इन विचारों की रचनात्मक व्याख्या की जाए।

जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव में मुख्यतः 8 मुख्य बिंदु या प्रावधान रखे, जो निम्न प्रकार है:

1. संविधान निर्माण करना- संविधान सभा घोषणा करती है कि वह भारत के लिए एक भावी संविधान बनाएगी, जो भारत को स्वतंत्र, संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न गणराज्य का दर्जा देगा।

2. भारत संघ का निर्माण करना- वह सभी क्षेत्र, जिसे ब्रिटिश भारत कहा जाता हैं तथा देश रियासतों के बाहर ऐसे क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्र जो स्वतंत्र भारत में सम्मिलित होना चाहते हैं, सब मिलकर भारत को एक संघ राज्य बनाएंगे।

3. संविधान की सीमाओं का निर्धारण करना- उक्त वर्णित सभी क्षेत्र अपनी वर्तमान सीमाओं में अथवा संविधान सभा द्वारा निश्चित की गई सीमाओं में और तत्पश्चात संविधान के विधान के अनुसार स्वायत्तशासी इकाइयां होंगी। जिनको अवशिष्ट अधिकार प्राप्त होंगे और यह उन अधिकारों तथा कार्यों को छोड़कर जो केंद्र में निहित अथवा सौंपे गए हो अथवा केंद्र को प्राप्त अथवा उसे दिए गए हो, सरकार तथा प्रशासन के सभी अधिकारों तथा कार्यों का पालन करेंगे।

4. सत्ता का स्त्रोत जनता को बनाना- संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न स्वतंत्र भारत; इसके संघीय भागों तथा सरकार के तंत्रों के महत्वपूर्ण अधिकार तथा शासकीय सत्ता जनता में निहित होंगे।

5. सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक समता की स्थापना करना- भारत के सभी लोगों के लिए सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय प्रतिष्ठा तथा अवसर की और कानून की दृष्टि में समानता, न्याय तथा सार्वजनिक सदाचार को ध्यान में रखते हुए विचार अभिव्यक्ति, धर्मोपासना, विश्वास, व्यवसाय तथा काम की स्वतंत्रता की निश्चित व्यवस्था की जाएगी।

6. अल्पसंख्यकों व पिछड़े वर्गों के लिए पर्याप्त संरक्षण की व्यवस्था करना- संविधान में अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों तथा आदिम जातिय क्षेत्रों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए पर्याप्त संरक्षण की व्यवस्था की जाएगी।

7. प्रभु सत्ता की रक्षा की व्यवस्था करना- संविधान में गणराज्य की क्षेत्रीय मर्यादा तथा जल, थल एवं नभ सीमाओं पर उसकी प्रभुसत्ता की रक्षा तथा न्याय सदस्य राष्ट्रों के कानून के अनुसार किए जाएंगे।

8. विश्व शांति और मानवता के कल्याण में योगदान देना- यह प्राचीन देश संसार में अपना समुचित और सम्मानित स्थान प्राप्त करेगा। संसार में शांति बनाए रखने तथा मनुष्य जाति के कल्याण के कार्य में यह अपना पूर्ण योगदान देता रहेगा।

उद्देश्य प्रस्ताव का महत्व

उद्देश्य प्रस्ताव के अनुसार संविधान सभा ने भारत को एक स्वतंत्र, पूर्ण सत्ताधारी गणराज्य बनाने का निश्चय किया। इस गणराज्य में राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक समानता होगी।

इसमें संस्थाएं बनाने तथा कोई भी कारोबार या व्यापार करने की स्वतंत्रता होगी। भाषण, प्रकाशन, धर्म या मत अपनाने या जोड़ने आदि की पूर्ण स्वतंत्रता होगी। अल्पसंख्यक, दलित वर्गों, पिछड़े वर्गों तथा आदिम जातियों को पूर्ण संरक्षण प्राप्त होगा।

इस प्रकार उद्देश्य प्रस्ताव में भावी संविधान की रूपरेखा निश्चित की गई थी।

उद्देश्य प्रस्ताव से संबंधित महत्वपूर्ण लिंक्स:

संविधान सभा का निर्माण कैबिनेट मिशन योजना
अगस्त प्रस्ताव 1940 क्रिप्स मिशन 1942
शिमला सम्मेलन साइमन कमीशन

आपने क्या सीखा?

हमने इस लेख में भारतीय संविधान सभा के ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव के बारे में जाना। यह उद्देश्य प्रस्ताव ही आगे चल कर भारत के संविधान की रूपरेखा बना और इसमें कुछ बदलाव करके भारत के आधुनिक संविधान की प्रस्तावना तैयार की गई।

साथ ही उद्देश्य प्रस्ताव से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं का विस्तार से अध्ययन किया और उन्हें समझने का प्रयास किया।

उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा और आपको उद्देश्य प्रस्ताव से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे। यदि आपको अभी भी कोई डाउट है तो आप अपनी समस्या या सुझाव कमेंट बॉक्स के जरिए बता सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q. उद्देश्य प्रस्ताव कब और किसके द्वारा पेश किया गया?

A. 13 दिसंबर 1946, पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा।

Q. उद्देश्य प्रस्ताव कब पारित हुआ?

A. 22 जनवरी 1947

Q. उद्देश्य प्रस्ताव को संविधान सभा की कौनसी बैठक में प्रस्तुत किया गया?

A. संविधान सभा की तीसरी बैठक।

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