Samvidhan Sabha ke Adhyaksh Kaun The

संविधान के निर्माण के लिए भारतीय संविधान सभा का गठन (Samvidhan sabha ka gathan) किया गया। शिक्षित, स्वतंत्र विचारों वाले तथा राष्ट्र को समर्पित लोगों को संविधान सभा के सदस्यों के रूप में चुना गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारतीयों में राष्ट्रीयता, स्वाभिमान व राष्ट्रवाद की भावना का उदय हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति अब हर भारतीय के लिए स्वयं सिद्ध लक्ष्य बन गया था। ऐसी स्थिति में केवल भारतीयों द्वारा बनाया गया संविधान ही उन्हें मान्य हो सकता था, फलस्वरूप भारतीय संविधान सभा (samvidhan sabha) का निर्माण किया गया।

संविधान सभा क्या है? | Samvidhan Sabha

भारत के संविधान के निर्माण के लिए गठित प्रतिनिधियों की सभा को संविधान सभा या संविधान निर्मात्री सभा (Samvidhan sabha) के नाम से जाना जाता है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम ने भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना को विकसित कर राष्ट्रीय आंदोलन की आधारशिला रखी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में ‘ब्रिटिश शासन द्वारा स्थापित भारत की राजनीतिक एकता सामान्य अधीनता की एकता थी, लेकिन उसने सामान्य राष्ट्रीय एकता को जन्म दिया’।

आगे चलकर इसी राष्ट्रीय एकता से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उदय हुआ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वराज्य तथा भारतीयों द्वारा निर्मित संविधान की मांग पर जोर दिया। अंततः ब्रिटिश सरकार ने संविधान निर्माण की मंजूरी प्रदान की और संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन किया गया।

अब संविधान निर्मात्री सभा के कार्य जानने से पहले यह जानना आवश्यक है कि किस प्रकार संविधान निर्मात्री सभा का निर्माण हुआ और इसमें कितने सदस्य शामिल हुए।

संविधान सभा का गठन | Samvidhan sabha ka gathan

भारतीय संविधान सभा के गठन (Samvidhan sabha ka gathan) की पहली बार मांग बाल गंगाधर तिलक ने 1895 में की थी। सन् 1922 में महात्मा गांधी जी ने संविधान सभा (samvidhan sabha) और संविधान निर्माण की मांग की।

अगस्त 1928 में नेहरू रिपोर्ट तैयार की गई। इसके अंतर्गत ब्रिटिश भारत का पहला लिखित संविधान तैयार किया गया, जिसमें मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों के अधिकारों, भारतीय संघ व डोमिनियन स्टेट के लिए प्रावधान रखे गए, परंतु इसे अन्य राजनीतिक संगठनों व राजाओं द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया।

नेहरू रिपोर्ट के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें: Click Here

अगस्त 1940 में अंग्रेजों द्वारा एक प्रस्ताव रखा गया, जिसे “अगस्त प्रस्ताव के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रस्ताव में अंग्रेजों ने यह स्वीकार किया कि भारतीयों के लिए एक संविधान तथा संविधान सभा होनी आवश्यक है। परंतु इस प्रस्ताव की अन्य शर्तों की वजह से कांग्रेस, मुस्लिम लीग तथा अन्य संगठनों द्वारा इसे स्वीकृत नहीं किया गया।

अगस्त प्रस्ताव भारत क्यों भेजा गया? इसमें क्या क्या प्रस्ताव रखे गए एवं इसे भारतीय राजनीतिक संगठनों द्वारा अस्वीकृत क्यों कर दिया गया आदि के बारे में विस्तृत जानकारी जानने के लिए पढ़ें: अगस्त प्रस्ताव 1940

मार्च 1942 में क्रिप्स मिशन भारत भेजा गया। इसके अनुसार युद्ध के बाद भारतीय संविधान सभा का गठन किए जाने का प्रस्ताव रखा गया, परंतु इसे कांग्रेस व अन्य संगठनों द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया। गांधीजी ने क्रिप्स मिशन को “पोस्ट डेटेड चेक” की संज्ञा दी।

क्रिप्स मिशन भारत क्यों भेजा गया? इसमें क्या-क्या प्रस्ताव रखे गए तथा इसे भारतीयों द्वारा अस्वीकृत क्यों कर दिया गया? आदि के बारे में विस्तृत जानकारी जानने के लिए पढ़ें: क्रिप्स मिशन 1942

1945 में वाइसराय लॉर्ड वेवेल ने शिमला में सम्मेलन का आयोजन किया। उन्होंने एक अंतरिम राजनीतिक समझौता करने की कोशिश की थी। लॉर्ड वेवेल के प्रस्ताव को वेवेल योजना” या “शिमला सम्मेलन” के नाम से जाना जाता है।

मार्च 1946 में कैबिनेट मिशन भारत भेजा गया। जिसके सदस्य लाॅरेंस, स्टेफर्ड क्रिप्स व ए.वी. एलेग्जेंडर थे।

कैबिनेट मिशन के अंतर्गत क्या-क्या प्रस्ताव रखे गए, कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग की क्या प्रतिक्रिया रही आदि तथ्यों के बारे में विस्तृत जानकारी जानने के लिए पढ़ें: कैबिनेट मिशन

16 मई 1946 को कैबिनेट मिशन ने अपनी योजना प्रकाशित की। इसके अनुसार संविधान सभा में कुल सदस्य संख्या 389 निर्धारित की गई।


292-ब्रिटिश प्रांतो के प्रतिनिधि।
4-चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि।
93-देशी रियासतों के प्रतिनिधि।

कैबिनेट मिशन के अनुसार 10 लाख की जनसंख्या पर एक प्रतिनिधि लेने का नियम अपनाया गया।

मतदाताओं को 3 वर्गों में बांटने का निश्चय किया गया:-
साधारण, मुसलमान, सिख (केवल पंजाब)

प्रांतों के लिए अलग संविधानों की योजना की व्यवस्था की गई थी। इसके अनुसार संविधान सभा की प्रारंभिक बैठक के बाद सदस्य अपने आप को 3 वर्गों में विभाजित कर लेंगे-


1.हिंदू बहुमत वाले प्रांतों के प्रतिनिधि।
2.मुस्लिम बहुमत वाले उत्तर पश्चिमी प्रांतों के प्रतिनिधि।
3.मुस्लिम बहुमत वाले उत्तर पूर्वी प्रांतों के प्रतिनिधि।


इन तीनों वर्गों द्वारा पहले अपने अपने प्रांतों और वर्गों के संविधान का निर्माण और उसके बाद संघीय संविधान का निर्माण किया गया जाएगा।

संविधान सभा का निर्वाचन | Samvidhan sabha

कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत जुलाई 1946 में संविधान सभा के चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस के 208 सदस्य, मुस्लिम लीग के 73 सदस्य तथा अन्य दलों के 15 सदस्य निर्वाचित हुए। तथा 93 देसी रियासतों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

संविधान सभा (Samvidhan sabha) के सदस्य वयस्क मताधिकार के आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित हुए थे।
इस प्रकार 6 दिसंबर 1946 को भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ।

9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन हुआ। परंतु इसमें मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान के लिए पृथक संविधान सभा की मांग प्रारंभ कर दी।

कांग्रेस तथा ब्रिटिश सरकार के प्रयत्नों के बावजूद मुस्लिम लीग ने संविधान निर्माण के कार्य में सहयोग नहीं किया तथा पाकिस्तान के लिए पृथक संविधान सभा की मांग को जारी रखा।

फलस्वरुप देश के विभाजन को स्वीकार कर लिया गया और संविधान सभा का पुनर्गठन हुआ।

इस प्रकार भारतीय संविधान सभा का गठन तीन चरणों में संपूर्ण हुआ :-

प्रथम चरण :- इस चरण में कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार संविधान सभा के 389 सदस्यों का निर्वाचन किया गया।

द्वितीय चरण :- इस चरण का प्रारंभ 3 जून 1947 की विभाजन योजना से हुआ तथा संविधान सभा का पुनर्गठन किया गया। इसमें कुल सदस्यों की संख्या 299 रह गई।

तृतीय चरण :- यह चरण देसी रियासतों के प्रतिनिधियों के सम्मिलित होने से संबंधित था। जिसमें हैदराबाद रियासत के प्रतिनिधि अंत तक सम्मिलित नहीं हुए।

संविधान सभा के सदस्य | Samvidhan sabha ke sadasya

कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार भारतीय संविधान सभा (Indian constitutional assembly) की कुल सदस्य संख्या 389 तय की गई थी। परंतु भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के पश्चात संविधान सभा की सदस्य (Samvidhan sabha ke sadasya) संख्या 299 रह गई।

संविधान सभा के पुनर्गठन के पश्चात 229 सदस्य निर्वाचित तथा 70 सदस्य मनोनीत थे। पुनर्गठित भारतीय संविधान सभा में कुल महिला सदस्यों की संख्या (Samvidhan sabha ki mahila sadasya)15 थी।
भारतीय संविधान सभा में 26 अनुसूचित जाति तथा 33 अनुसूचित जनजाति के सदस्य थे।

बेगम एजाज रसूल संविधान सभा की एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य थी। सन् 1950 में मुस्लिम लीग भंग होने के बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गई। केरल की निवासी दक्षायिणी वेलायुदन भारतीय संविधान सभा की एकमात्र दलित महिला सदस्य थी।

भारतीय संविधान सभा के सदस्य निम्नलिखित प्रांतों व रियासतों से संबंधित थे:-
मद्रास, मुंबई राज्य, पश्चिम बंगाल, संयुक्त प्रांत, पूर्वी पंजाब, बिहार, मध्य प्रांत, असम, उड़ीसा, दिल्ली, अजमेर-मेरवाड़ा, कूर्ग, मैसूर, जम्मू एवं कश्मीर, त्रावणकोर-कोचीन, मध्य भारत, सौराष्ट्र, राजस्थान, विंध्य प्रदेश, कूचबिहार, त्रिपुरा, मणिपुर, भोपाल, हिमाचल प्रदेश।

संविधान सभा की बैठकें | Samvidhan sabha ki baithak

संविधान सभा की पहली बैठक (Samvidhan sabha ki pahli baithak) तथा प्रथम अधिवेशन (pratham adhiveshan) 9 दिसंबर 1946 को हुआ। संविधान सभा की प्रथम बैठक में कुल 207 सदस्यों ने भाग लिया।

इस सभा का अस्थाई अध्यक्ष (samvidhan sabha ke asthai adhyaksh) डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा तथा उपाध्यक्ष फ्रैंक एंथोनी को चुना गया।संविधान सभा की दूसरी बैठक 11 दिसंबर 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा ने सर्वसम्मति से स्थाई अध्यक्ष (samvidhan sabha ke adhyaksh) चुना। हरेंद्र कुमार मुखर्जी को संविधान सभा का उपाध्यक्ष तथा बी.एन.राव को संवैधानिक सलाहकार के रूप में चुना गया। Samvidhan sabha ke adhyaksh doctor rajendra prasad the.

[**जुलाई 1947 में संविधान सभा में 2 उपाध्यक्षों का प्रावधान किया गया और हरेंद्र कुमार मुखर्जी व वी.टी. कृष्णामाचारी को उपाध्यक्ष बनाया गया।]

[**22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया गया।]

13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की तीसरी बैठक में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा “उद्देश्य प्रस्ताव” को सभा मे रखा गया। इस प्रस्ताव में भारत के भावी प्रभुत्व संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी। यह प्रस्ताव 22 जनवरी 1947 को पारित हुआ।

26 नवंबर 1949 (11वां अधिवेशन) को भारत का संविधान पारित किया गया। इसलिए 26 नवंबर को प्रतिवर्ष “संविधान दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

भारतीय संविधान सभा की अंतिम बैठक (Samvidhan sabha ki antim baithak) तथा आखिरी अधिवेशन (12वां) 24 जनवरी 1950 को हुआ। इसी दिन भारत के संविधान की 3 प्रतियां सभा पटल पर रखी गई। सभा के अध्यक्ष ने सभी सदस्यों से तीनों प्रतियों पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया। उस समय संविधान में 8 अनुसूचियां तथा 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सर्वप्रथम संविधान पर हस्ताक्षर किए और डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सबसे बाद में संविधान पर हस्ताक्षर किए। संविधान सभा की कुल 15 महिला सदस्यों में से केवल 8 महिला सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए। इस प्रकार कुल 284 सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए।

24 जनवरी 1950 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का राष्ट्रपति चुना गया तथा राष्ट्रीय गीत व राष्ट्रगान को अपनाया गया।

भारतीय संविधान सभा ने 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में कुल 165 दिन बैठक की। संविधान सभा के कुल 12 अधिवेशन (एनसीईआरटी के अनुसार 11 अधिवेशन) हुए। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया।

संविधान सभा के प्रमुख कार्य | Samvidhan sabha ke karya

संविधान सभा (Samvidhan sabha) का मूल उद्देश्य भारत के लिए एक भावी संविधान का निर्माण करना था। पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव संविधान निर्माण की दिशा में सबसे पहला कार्य था। उद्देश्य प्रस्ताव में संविधान के उद्देश्यों की व्याख्या की गई।

उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के पश्चात संविधान सभा ने संविधान निर्माण की समस्या के विभिन्न पहलुओं के संबंध में अनेक समितियों का गठन किया।

अक्टूबर 1947 में संविधान सभा की परामर्श शाखा ने संविधान का पहला प्रारूप तैयार किया। संवैधानिक सलाहकार बी.एन. राव ने विश्व के विभिन्न संविधान विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर एक प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया।

परामर्श शाखा द्वारा निर्मित संविधान को प्रारूप समिति के पास भेजा गया। प्रारूप समिति ने इस संविधान का परीक्षण करके, प्रारूप संविधान को संविधान सभा के समक्ष प्रस्तुत किया।

प्रारूप संविधान के प्रकाशित होने के बाद इसमें संशोधन के लिए अनेक सुझाव प्राप्त हुए और प्रारूप संविधान में संशोधन के पश्चात एक पुनर्मुद्रित संस्करण प्रस्तुत किया गया।

15 नवंबर 1948 को प्रारूप संविधान पर धारावार विचार प्रारंभ हुआ।8 जनवरी 1949 तक संविधान पर सामान्य वाद विवाद हुआ, इसे प्रथम वाचन कहा जाता है।16 नवंबर 1949 को संविधान का दूसरा वाचन समाप्त हो गया।

संविधान का तीसरा वाचन 26 नवंबर 1949 तक चला। इस दिन संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान को अंतिम रूप से पारित किया गया। अंततः 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के बाद संविधान सभा एक विधायिका भी बन गई। अब देश के लिए कानून लागू करना संविधान सभा का दूसरा मुख्य कार्य था।

संविधान निर्मात्री सभा में 12 कैबिनेट स्तर के, 3 राज्य स्तर के मंत्री एवं एक उप मंत्री था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद एवं मावलंकर को छोड़कर सभी सदस्य दोहरी भूमिका निभाते थे। संविधान सभा स्वतंत्र भारत की पहली संसद थी।

संविधान सभा की प्रमुख समितियां | Samvidhan sabha ki samitiya

उद्देश्य प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद संविधान निर्माण की समस्याओं को दूर करने तथा संविधान निर्माण के कार्य को त्वरित गति से पूर्ण करने के लिए कुल 22 समितियां नियुक्त की गई। इनमें से 8 प्रमुख समितियां थी।

इन समितियों को कार्य के आधार पर मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है:-

  1. वे समितियां जो संविधान निर्माण की प्रक्रिया के प्रश्नों को हल करने के लिए गठित की गई। जैसे: प्रक्रिया समिति, वार्ता समिति, संचालन समिति, कार्य समिति आदि।
  2. वे समितियां जो संविधान बनाने वाली थी। जैसे: संघ संविधान समिति, प्रांतीय संविधान समिति, संघ शक्ति समिति, मूल अधिकारों और अल्पसंख्यकों आदि से संबंधित समिति आदि।
  3. वह समिति जिसे संविधान को अंतिम रूप देना था। जैसे: प्रारूप समिति।
समितियांअध्यक्ष
मसौदा/प्रारूप समितिडॉ. भीमराव अंबेडकर
केंद्रीय उर्जा समितिजवाहरलाल नेहरू
केंद्रीय घटना समितिजवाहरलाल नेहरू
प्रांतीय घटना समितिवल्लभभाई पटेल
राष्ट्रीय ध्वज पर तदर्थ समितिराजेंद्र प्रसाद
मौलिक अधिकारों पर सलाहकार समितिवल्लभभाई पटेल
संविधान सभा के कार्यों पर समितिजीवी मावलंकर
अल्पसंख्यक, आदिवासी और बहिष्कृत क्षेत्रों पर समितिवल्लभभाई पटेल
प्रक्रिया के नियमों पर समितिराजेंद्र प्रसाद
प्रारूप संविधान की जांच के लिए विशेष समितिकृष्णस्वामी अय्यर
वित्त और कर्मचारी समितिराजेंद्र प्रसाद
सदन समितिबी पट्टाभि सीतारमैय्या
कार्यकारिणी समिति का आदेशके एम मुंशी
राज्य समितिजवाहरलाल नेहरू
संचालन समितिराजेंद्र प्रसाद
संघ संविधान समितिजवाहरलाल नेहरू
संघ शक्ति समितिजवाहरलाल नेहरू
परामर्श समितिसरदार वल्लभभाई पटेल

संविधान सभा के गठन की आलोचना

संविधान सभा के सदस्य प्रत्यक्ष रूप से जनता के प्रतिनिधि नहीं थे। जिन प्रांतीय विधानसभाओं ने इन्हें चुनकर भेजा था, स्वयं सार्वजनिक मत का प्रतिनिधित्व नहीं करती थी।

संविधान सभा में देशी राज्यों के प्रतिनिधि जनता के प्रतिनिधि ना होकर राजाओं के प्रतिनिधि थे। इसलिए यह जनता की प्रतिनिधि सभा नहीं कही जा सकती।

भारत में अधिकांश जनसंख्या दस्तकार और किसान वर्ग की है, लेकिन संविधान निर्माण प्रक्रिया में इस वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था।

संविधान सभा में वकीलों का बहुमत था। सभी महत्वपूर्ण नेता कानून के पंडित थे। कानूनविदो के प्रभुत्व के कारण ही संविधान सभा का स्वरूप जटिल बन गया।

आलोचकों का कहना था कि संविधान सभा एक संप्रभु निकाय नहीं थी क्योंकि यह ब्रिटिश सरकार के प्रस्तावों द्वारा बनाई गई थी।

संविधान सभा ने संविधान बनाने में अनावश्यक रूप से लंबा समय लिया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी संविधान निर्माताओं को अपना काम पूरा करने में केवल चार महीने लगे।

Source: Wikipedia, PIB India

आपने क्या सीखा?

इस लेख के माध्यम से हमने जाना कि किस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत के संविधान और संविधान निर्मात्री सभा के निर्माण के लिए संघर्ष किया।

किस प्रकार संविधान सभा का निर्माण हुआ और संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा के कितने सदस्यों ने भाग लिया। संविधान सभा की कुल कितनी बैठकें तथा अधिवेशन हुए।

साथ ही हमने जाना की संविधान सभा की प्रमुख समितियां कौन-कौन सी थी और संविधान सभा ने भारतीय संविधान निर्माण तथा कानून निर्माण में क्या योगदान दिया।

इस लेख में मैंने किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा में भारतीय संविधान सभा से रिलेटेड पूछे जाने वाले सभी प्रश्नों का समावेश करने का प्रयास किया है। अगर फिर भी आपको लगता है कि इसमें कुछ और पॉइंट्स को add करने की जरूरत है, तो आप कमेंट में बता सकते हैं।

इस लेख से संबंधित लिंक्स:

वेवेल योजनासाइमन कमीशन
नेहरू रिपोर्ट 1928क्रिप्स मिशन 1942
अगस्त प्रस्ताव 1940कैबिनेट मिशन योजना

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

संविधान सभा का गठन कब हुआ?

संविधान सभा का गठन 6 दिसंबर 1946 को हुआ।

संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे?

कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार संविधान सभा में कुल सदस्य संख्या 389 तय की गई, परंतु भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के पश्चात संविधान सभा की सदस्य संख्या 299 रह गई।

संविधान सभा में कुल कितनी महिला सदस्य थी?

संविधान सभा में कुल 15 महिला सदस्य थी।

संविधान सभा की एकमात्र दलित महिला सदस्य कौन थी?

दक्षायिणी वेलायुदन।

संविधान सभा में पहली मुस्लिम महिला सदस्य कौन थी?

बेगम एजाज रसूल।

संविधान सभा के स्थाई उपाध्यक्ष कौन थे?

स्थाई उपाध्यक्ष हरेंद्र कुमार मुखर्जी व वी.टी. कृष्णामाचारी।

Samvidhan sabha ke adhyaksh kaun the?

डॉ. राजेंद्र प्रसाद

संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कौन थे?

अस्थाई अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा एवं उपाध्यक्ष फ्रैंक एंथोनी।

संविधान सभा की कुल कितने बैठकें तथा अधिवेशन हुए?

165 बैठक तथा 12 अधिवेशन। (एनसीईआरटी के अनुसार 11 अधिवेशन)

संविधान सभा की पहली बैठक (Samvidhan sabha ki pahli baithak) कब हुई तथा इसमें कितने सदस्यों ने भाग लिया?

संविधान सभा की पहली बैठक तथा प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को हुआ। इसमें कुल 207 सदस्यों ने भाग लिया।

संविधान सभा की अंतिम बैठक (Samvidhan sabha ki antim baithak) कब हुई?

संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुआ।

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