क्रिप्स मिशन 1942 | Cripps Mission In Hindi

अगस्त प्रस्ताव 1940 में ब्रिटिश सरकार को सफलता नहीं मिली। मार्च 1942 में स्टेफर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में एक प्रस्ताव भारत भेजा गया। इस प्रस्ताव को ही “क्रिप्स मिशन” के नाम से जाना जाता है।

द्वितीय विश्व युद्ध की घोषणा के पश्चात 3 सितंबर 1939 को ब्रिटिश सरकार द्वारा यह घोषणा की गई कि भारत भी विश्व युद्ध में भाग लेगा।

यह घोषणा भारतीयों से बिना बातचीत किए की गई थी। इस वजह से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसका विरोध किया तथा मंत्री पदों से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस द्वारा मंत्री पदों से इस्तीफा देने की खुशी में मुस्लिम लीग ने इस दिन को मुक्ति दिवस के रुप में मनाया।

कांग्रेस के विरोध के पश्चात ब्रिटिश सरकार ने अगस्त 1940 में एक प्रस्ताव भेजा। परंतु यह प्रस्ताव भारतीय राजनीतिक संगठनों द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया।

चलिए जानते हैं कि आखिर ये क्रिप्स मिशन क्या है और इसे भारत क्यों भेजा गया था।

क्रिप्स मिशन क्या है?

अगस्त प्रस्ताव की असफलता के पश्चात ब्रिटिश सरकार ने द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीयों का समर्थन पाने के लिए एक प्रस्ताव भारत भेजा, जिसे क्रिप्स मिशन के नाम से जाना जाता है।

हमने अगस्त प्रस्ताव में जाना कि किस प्रकार जर्मनी की बढ़ती हुई ताकत के सामने ब्रिटेन की हालत काफी नाजुक हो गई थी।

अगस्त प्रस्ताव के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार में पढ़ें: अगस्त प्रस्ताव 1940

द्वितीय विश्व युद्ध के समय दक्षिणी-पूर्वी एशिया के अधिकांश देशों पर ब्रिटेन का राज्य था। जापान द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन के विरोधी देशों में से एक था। जापान ने दक्षिणी पूर्वी एशिया के अधिकांश देशों पर हमला कर वहां से अंग्रेजों को खदेड़ दिया था।

दरअसल ब्रिटेन को दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों में स्थानीय संगठनों का सहयोग प्राप्त नहीं हुआ था इस वजह से उन्हें वहां पर हार का सामना करना पड़ा।

ब्रिटेन को इस बात का डर था कि जापान का अगला लक्ष्य भारत होगा और अगर उन्हें भारतीयों से सहयोग नहीं मिला तो भारत भी ब्रिटेन के हाथ से निकल जाएगा।

उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रुसवेल्ट तथा कई अन्य शक्तिशाली देशों द्वारा भी ब्रिटेन पर भारत का सहयोग प्राप्त करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।

क्रिप्स मिशन भारत कब आया?

22 मार्च 1942 को सर स्टेफोर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में क्रिप्स मिशन भारत आया। उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल थे।

स्टेफोर्ड क्रिप्स को भारत कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के नेताओं से एक समझौते पर बातचीत करने के लिए भेजा गया था।

कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग की प्रतिक्रिया जानने से पहले आइए जानते हैं कि इस समझौते में क्या-क्या प्रस्ताव रखे गए।

क्रिप्स मिशन के प्रमुख प्रस्ताव

क्रिप्स मिशन में कहा गया कि भारत को डोमिनियन स्टेटस प्रदान किया जाएगा और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भाग लेने का अधिकार भी दिया जाएगा।

इस प्रस्ताव में एक प्रावधान रखा गया जिसके अंतर्गत यदि कोई भी प्रांत या देसी रियासत भारत संघ का हिस्सा नहीं बनना चाहते, तो वह प्रांत या देशी रियासत स्वतंत्र रूप से एक अलग से संघ निर्माण कर सकते हैं और स्वयं का अलग से एक संविधान का निर्माण कर सकते हैं।

इस प्रस्ताव में संविधान निर्माण के लिए संविधान निर्मात्री सभा के गठन के बारे में भी बात कही गई। साथ ही यह कहा गया कि इसमें सिर्फ और सिर्फ भारतीय सदस्य होंगे जो कि प्रांतीय प्रतिनिधियों द्वारा निर्वाचित तथा मनोनीत होंगे।

संविधान सभा का निर्माण कब और किस प्रकार हुआ तथा उसमें कितने सदस्यों ने भाग लिया आदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए क्लिक करें -> संविधान सभा

क्रिप्स मिशन के अंतर्गत कहां गया कि जब तक एक नया संविधान नहीं बन जाता, तब तक भारत की रक्षा की जिम्मेदारी ब्रिटिश सरकार की रहेगी। गवर्नर जनरल की शक्तियां भी तब तक के लिए यथावत अर्थात उन में कोई भी बदलाव नहीं होगा।

इस प्रस्ताव में अल्पसंख्यकों को आश्वासन दिया गया कि यदि संविधान में कोई भी ऐसा नियम या प्रावधान बनाया जाता है, जिससे अधिकांश अल्पसंख्यक सहमत नहीं है, तो उसे लागू नहीं किया जाएगा।

अल्पसंख्यकों के अधिकार संविधान सभा तथा ब्रिटिश सरकार के मध्य उचित वार्तालाप के बाद ही तय किया जाएंगे।

इस प्रस्ताव के अंतर्गत यह कहा गया कि भारत राष्ट्रमंडल के साथ अपने संबंधों को तय करने के लिए स्वतंत्र होगा। और भारत अपनी स्वेच्छा से ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के साथ कभी भी विच्छेद कर सकता है अर्थात भारत राष्ट्रमंडल का सदस्य बनने के लिए स्वतंत्र है।

भारतीय राजनीतिक संगठनों की प्रतिक्रिया

क्रिप्स मिशन को भारत के सभी राजनीतिक संगठनों द्वारा अस्वीकृत कर किया गया।

मुस्लिम लीग ने इस प्रस्ताव को सिर्फ इसलिए खारिज कर दिया था क्योंकि इसमें कहीं भी पाकिस्तान के निर्माण की स्पष्ट बात नहीं की गई थी। उन्हें भारतीय संघ नहीं बल्कि मुसलमानों के लिए अलग से एक देश (पाकिस्तान) चाहिए था।

यहां पर अब कुछ लोगों को Doubt होगा की क्रिप्स मिशन में जब प्रांतों और देसी रियासतों को एक संघ और संविधान निर्माण की स्वतंत्रता दे दी गई, तो फिर मुस्लिम लीग को पाकिस्तान बनाने में क्या आपत्ति थी।

दरअसल इस प्रस्ताव के मुताबिक अलग से संघ और संविधान निर्माण करने की स्वतंत्रता उन्ही प्रांतों या देसी रियासतों को थी, जो उस समय अस्तित्व में थे। और उस समय पाकिस्तान नाम का ना तो कोई प्रांत था और ना ही कोई रियासत।

सिख समुदाय ने भी क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उनका मानना था, यदि प्रांतों को एक अलग से संविधान तथा संघ बनाने की स्वतंत्रता दे दी जाती है, तो पंजाब उनसे छीन लिया जाएगा।

दरअसल अधिकांश सिख लोग पंजाब में रहते थे, लेकिन पंजाब में मुसलमानों का बहुमत था। इसलिए अगर अलग से संघ व संविधान बनाने का अधिकार मिल जाता है, तो मुसलमान अलग से एक संघ का निर्माण करेंगे और पंजाब को भी उसी का हिस्सा बना लिया जाएगा।

हिंदू महासभा भी अलग से डोमिनियन स्टेटस या संघ बनाने के अधिकार के खिलाफ थी और उन्होंने भी इस प्रस्ताव को स्वीकृत कर दिया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने क्रिप्स मिशन का प्रबल विरोध किया। कांग्रेश भारतीय संघ से अलग होकर स्वयं का संविधान बनाने के अधिकार के समर्थन में नहीं थी।

उनका कहना था, अगर सभी प्रांत और देशी रियासतें स्वयं का अलग से संविधान तथा संघ बना लेगी, तो भारत देश कैसे बनेगा। यह तो फिर से प्रांतों और देसी रियासतों में बट जाएगा।

इस प्रस्ताव में भारत को डोमिनियन स्टेटस का दर्जा देने की बात कही गई थी। परंतु कांग्रेस तो लाहौर अधिवेशन 1929 से ही पूर्ण स्वराज्य की मांग कर रही थी, उन्हें अब डोमिनियन स्टेटस नहीं बल्कि पूर्ण स्वराज्य चाहिए था।

यह भी पढ़ें: कांग्रेस लाहौर अधिवेशन

कांग्रेस ने भारतीयों की सुरक्षा पर ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण का भी विरोध किया। कांग्रेस ने कहा कि गवर्नर जनरल को सिर्फ संवैधानिक प्रमुख बनाया जाए। कांग्रेस गवर्नर जनरल की विवेकाधीन शक्तियों (Discretionary Power) के खिलाफ थी।

इस प्रस्ताव में सभी प्रावधानों को युद्ध समाप्ति के पश्चात लागू करने की बात कही गई थी। अर्थात युद्ध समाप्ति के पश्चात ही संविधान निर्मात्री सभा का गठन किया जाएगा। लेकिन कांग्रेस ने इस फैसले की आलोचना की तथा महात्मा गांधी ने क्रिप्स मिशन को “पोस्ट डेटेड चेक” की संज्ञा दी।

कांग्रेस द्वारा क्रिप्स मिशन के विरोध में 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन” शुरू किया गया।

यह भी पढ़ें: भारत छोड़ो आंदोलन

इस प्रकार क्रिप्स मिशन 1942 को सभी भारतीय राजनीतिक संगठनों द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया और ब्रिटिश सरकार द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीयों का समर्थन पाने की यह योजना भी विफल हो गई।

अगस्त प्रस्ताव एवं क्रिप्स मिशन में समानताएं और असमानताएं

समानताएं :

  1. दोनों प्रस्तावों में भारत को डोमिनियन स्टेटस का दर्जा देने की बात कही गई।
  2. दोनों प्रस्तावों में भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के गठन की मांग को स्वीकार किया गया।
  3. दोनों प्रस्तावों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा पर बल दिया गया।
  4. दोनों प्रस्तावों में सभी शर्तों व प्रावधानों को विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात लागू करने की बात कही।
  5. दोनों प्रस्तावों को ही भारतीय राजनीतिक संगठनों द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया।
  6. दोनों प्रस्तावों में ही ब्रिटिश सरकार भारत का समर्थन पाने में विफल रही।
  7. दोनों प्रस्तावों के विरोध में कांग्रेस ने एक नये आंदोलन को जन्म दिया।
  8. दोनों ही प्रस्ताव में कहीं पर भी पाकिस्तान का जिक्र नहीं किया गया।

असमानताएं :

  1. अगस्त प्रस्ताव के अनुसार संविधान सभा के अधिकांश सदस्य भारतीय होंगे, परंतु क्रिप्स मिशन के अनुसार संविधान सभा में सिर्फ भारतीय सदस्य ही होंगे।
  2. क्रिप्स मिशन में संविधान सभा के गठन के लिए एक मजबूत योजना प्रदान की गई थी, परंतु अगस्त प्रस्ताव में ऐसा कुछ नहीं था।
  3. अगस्त प्रस्ताव में वायसराय की कार्यकारिणी परिषद के विस्तार की बात कही गई थी, परंतु क्रिप्स मिशन में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता।
  4. क्रिप्स मिशन के अनुसार कोई भी प्रांत या देशी रियासतें जो भारतीय संघ या संविधान सभा का हिस्सा नहीं बनना चाहते, के लिए अलग से संविधान निर्माण का प्रावधान रखा गया। इसे भारत के विभाजन का ब्लूप्रिंट भी कहा जा सकता है। परंतु अगस्त प्रस्ताव में इस बारे में कुछ भी नहीं कहा गया था।
  5. क्रिप्स मिशन में भारत को अपनी इच्छा से राष्ट्रमंडल का सदस्य बनने या नहीं बनने का विकल्प दिया गया था।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: अगस्त प्रस्ताव 1940

आपने क्या सीखा?

इस लेख के माध्यम से आपने जाना की क्रिप्स मिशन भारत कब और क्यों आया था और उसके क्या-क्या प्रावधान थे।

साथ ही हमने सीखा कि किस प्रकार ब्रिटिश सरकार भारतीयों का समर्थन पाने के प्रयास में विफल रही और भारतीय राजनीतिक संगठनों द्वारा क्रिप्स मिशन को अस्वीकृत कर दिया गया।

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क्रिप्स मिशन से संबंधित लिंक्स:

भारत छोड़ो आंदोलननेहरू रिपोर्ट 1928
साइमन कमीशनलाहौर अधिवेशन 1929
अगस्त प्रस्ताव 1940कैबिनेट मिशन योजना

FAQs

Q.क्रिप्स मिशन भारत कब आया?

A.22 मार्च 1942

Q.क्रिप्स मिशन को गांधी जी ने क्या कहा?

A.पोस्ट डेटेड चेक

Q.क्रिप्स मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या था?

A.द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीयों का समर्थन प्राप्त करना।

Q. क्रिप्स मिशन के समय भारत का वायसराय कौन था?

A.लॉर्ड लिनलिथगो

Q. क्रिप्स मिशन का नेतृत्व किसने किया?

A.स्टैफोर्ड क्रिप्स

Q.क्रिप्स मिशन के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कौन थे?

A.विंस्टन चर्चिल

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