अगस्त प्रस्ताव 1940 | August Offer In Hindi

द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन ने भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के लिए “अगस्त प्रस्ताव 1940″ की घोषणा की।

दरअसल 3 सितंबर 1939 को वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से पूछे बिना ही यह घोषणा कर दी कि भारत ब्रिटेन के साथ द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेगा। इस बात से नाराज होकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्यों ने अपने मंत्री पदों से इस्तीफा दे दिया।

मार्च 1940 में रामगढ़, बिहार में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 53वां अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन की अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आजाद ने की थी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस अधिवेशन में “सत्याग्रह प्रस्ताव” प्रस्तुत किया था। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की प्राप्ति तथा संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा के गठन पर बल दिया गया।

रामगढ़ अधिवेशन के बाद कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव के मुताबिक अगर केंद्र में भारतीयों की एक अनंतिम राष्ट्रीय सरकार(Provisional National Government in Center) स्थापित की जाती है, तो कांग्रेस द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार का समर्थन कर सकती है।

सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस की समझौतावादी नीतियों के खिलाफ थे और उन्होंने रामगढ़ अधिवेशन के दौरान अखिल भारतीय समझौता विरोधी सम्मेलन का आयोजन किया।

अगस्त प्रस्ताव क्या है?

अगस्त 1940 में वायसराय लिनलिथगो द्वारा अगस्त प्रस्ताव पेश किया गया। अगस्त प्रस्ताव में वायसराय की कार्यकारिणी परिषद का विस्तार कर उसमें अंग्रेजों से ज्यादा भारतीयों को सम्मिलित करने और डोमिनियन स्टेट्स का दर्जा देने का वादा किया गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी की बढ़ती हुई ताकत को देखकर तथा फ्रांस, बेल्जियम और हॉलैंड के पतन से घबराकर ब्रिटेन ने भारत का सहयोग प्राप्त करने के लिए समझौतावादी दृष्टिकोण की नीति का सहारा लिया।

अंग्रेजों को भारत के संपूर्ण सहयोग के लिए कांग्रेस, मुस्लिम लीग तथा अन्य राजनीतिक संगठनों का समर्थन चाहिए था। उन्हें भरोसा था कि अगर ये राजनीतिक संगठन अगस्त प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते है, तो उन्हें संपूर्ण भारत का सहयोग मिल जाएगा।

अगस्त प्रस्ताव कब आया?

8 अगस्त 1940 को लॉर्ड लिनलिथगो ने भारतीयों के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस प्रस्ताव को अगस्त प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है।

ब्रिटिश सरकार का अगस्त प्रस्ताव के पीछे का उद्देश्य था कि अगर भारतीय राजनीतिक संगठन इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते है, तो ब्रिटेन को द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का पूर्ण समर्थन प्राप्त हो जाएगा।

अब यह जानने से पहले कि इस प्रस्ताव को कांग्रेस या मुस्लिम लीग द्वारा स्वीकार किया गया या नहीं। पहले यह जानना आवश्यक है कि अगस्त प्रस्ताव में अंग्रेजों द्वारा क्या-क्या प्रावधान रखे गए।

अगस्त प्रस्ताव के प्रावधान

कांग्रेस बहुत लंबे समय से संविधान निर्मात्री सभा की मांग कर रही थी। जिसे इस प्रस्ताव में मान लिया गया।

अगस्त प्रस्ताव में अंग्रेजों ने इस बात को माना कि भारतीयों के लिए एक भारतीय संविधान की जरूरत है। इस प्रस्ताव के मुताबिक एक ऐसी संविधान निर्मात्री सभा का गठन किया जाएगा, जिसमें सभी सदस्य मुख्यतः भारतीय होंगे।

संविधान सभा का निर्माण कब हुआ? कितने सदस्य थे? कितने अधिवेशन हुए आदि के बारे में विस्तृत जानकारी जानने के लिए पढ़ें: संविधान सभा

इस प्रस्ताव में डोमिनियन स्टेटस के मुद्दे को भी स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया।

अगस्त प्रस्ताव में कहा गया कि वायसराय की कार्यकारिणी परिषद (Executive Council of Viceroy) में सदस्य संख्या को बढ़ाया जाएगा तथा इसमें अंग्रेजों से ज्यादा भारतीयों को सम्मिलित किया जाएगा।

इस प्रस्ताव के मुताबिक एक युद्ध सलाहकार परिषद (War Advisory) की स्थापना की जाएगी। जिसमें अंग्रेजों के साथ-साथ भारतीय भी शामिल होंगे।

VETO power for minority: इस प्रस्ताव में अल्पसंख्यक वर्ग को यह आश्वासन दिया गया कि सरकार किसी ऐसी संस्था को शासन नहीं सौपेगी जो अल्पसंख्यकों के विरुद्ध या उनके हितों के खिलाफ हो या जिसमें अल्पसंख्यक सदस्य लगभग न के बराबर हो। तथा इसमें प्रस्तावित किया गया कि अल्पसंख्यकों की सहमति के बिना भविष्य में कोई भी संविधान नहीं अपनाया जाएगा।

भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य का दर्जा दिया जाएगा।

वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो द्वारा अगस्त प्रस्ताव के माध्यम से भारतीयों के समक्ष यह सब प्रावधान रखे गए।

तो चलिए अब जानते हैं कि अगस्त प्रस्ताव के प्रति भारतीय राजनीतिक संगठन जैसे कांग्रेस, मुस्लिम लीग आदि की क्या प्रतिक्रिया रही।

राजनीतिक संगठनों की प्रतिक्रिया

राजनीतिक संगठनों की प्रतिक्रिया में सबसे पहले बात करते हैं मुस्लिम लीग की। मुस्लिम लीग को अगस्त प्रस्ताव काफी हद तक अच्छा लगा और उन्होंने इस प्रस्ताव की तारीफ़ भी की।

अगस्त प्रस्ताव के प्रावधान जैसे औपनिवेशिक स्वराज्य, अल्पसंख्यकों के संबंध में दिये आश्वासन एवं संविधान निर्मात्री सभा आदि का मुस्लिम लीग ने लगभग स्वीकार किया।

परंतु मुस्लिम लीग बहुत लंबे समय से पाकिस्तान की मांग कर रही थी एवं अगस्त प्रस्ताव में कहीं पर भी पाकिस्तान की मांग का जिक्र नहीं किया गया। इस वजह से मुस्लिम लीग इस प्रस्ताव से नाराज थी एवं उन्होंने सिर्फ इस वजह से इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

अब बात करते हैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रतिक्रिया की।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अगस्त प्रस्ताव का प्रबल विरोध किया। इस प्रस्ताव में ब्रिटिश सरकार ने औपनिवेशिक स्वराज्य का दर्जा देने की बात कही। परंतु कांग्रेस ने दिसंबर 1929 लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की मांग की थी।

कांग्रेस लाहौर अधिवेशन के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए क्लिक करें: कांग्रेस लाहौर अधिवेशन 1929

कांग्रेस का कहना था कि वह अब पूर्ण स्वराज्य चाहते हैं ना कि औपनिवेशिक स्वराज्य।

दूसरा, अगस्त प्रस्ताव में डोमिनियन स्टेटस के मुद्दे पर चर्चा की गई तथा इसकी प्रतिक्रिया में कांग्रेस ने कहा कि डोमिनियन स्टेट्स का मुद्दा अब अप्रासंगिक हो चुका है, क्योंकि उन्हें अब डोमिनियन स्टेटस नहीं बल्कि पूर्ण स्वराज्य चाहिए।

तीसरा, अगस्त प्रस्ताव में ब्रिटिश सरकार द्वारा यह कहा गया कि इस प्रस्ताव की सभी शर्तें और प्रावधान द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात लागू होंगे। अर्थात विश्व युद्ध के पश्चात ही संविधान निर्मात्री सभा का गठन होगा।

महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू तथा अन्य कई नेताओं द्वारा इस प्रस्ताव की कड़ी निंदा की गई।

इस प्रकार ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रस्तावित अगस्त प्रस्ताव काफी लुभावना होते हुए भी कांग्रेस, मुस्लिम लीग तथा अन्य संगठनों द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया।

महात्मा गांधी ने इस प्रस्ताव के प्रतिरोध में 17 अक्टूबर 1940 में “व्यक्तिगत सत्याग्रह” प्रारंभ किया। इस सत्याग्रह को “दिल्ली चलो आंदोलन” के नाम से भी जाना जाता है।

आपने क्या सीखा?

इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि अगस्त प्रस्ताव कब और किसके द्वारा भारत में लाया गया, इसमें क्या-क्या प्रावधान थे और इसके प्रति भारतीय राजनीतिक संगठनों की क्या प्रतिक्रिया थी। 

साथ ही अपने जाना कि किस प्रकार ब्रिटिश सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध में अगस्त प्रस्ताव के माध्यम से भारतीयों का समर्थन पाने की चेष्टा की। किस प्रकार उन्होंने अपने खोखले वादों से भारतीय संगठनों को बेवकूफ बनाने का प्रयास किया।

अगस्त प्रस्ताव से संबंधित लिंक्स:

संविधान सभा का निर्माणक्रिप्स मिशन 1942
लाहौर अधिवेशन 1929 वेवेल योजना
कैबिनेट मिशन योजनानेहरू रिपोर्ट

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.अगस्त प्रस्ताव भारत में कब आया?

A.8 अगस्त 1940।

Q.अगस्त प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया?

A.वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो

Q.अगस्त प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य क्या था?

A.इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों का समर्थन पाना था।

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