अद्वितीय और रोचक हिंदी कहानी संग्रह | Hindi Story Collection

हिंदी कहानियां (Hindi Stories) हमारी संस्कृति, विचारधारा और जीवन के मूल्यों को प्रकट करने का एक माध्यम हैं। ये कहानियां हमें न केवल मनोरंजन करने का मौका देती हैं, बल्कि वे हमें जीवन की सत्यता और आदर्शों से भी रूबरू कराती है।

जब हम एक हिंदी कहानी (Hindi Story) की बात करते हैं, तो हम एक अद्वितीय संगठन के बारे में सोच सकते हैं जो शब्दों की एक मधुर झील को रचनात्मक तरीके से परिपूर्ण करता है। हिंदी कहानियाँ (Stories in Hindi) जीवन के मूलभूत तत्वों को समझने में हमारी मदद करती हैं और हमारी अनुभूति और भावनाओं को संवारने में मदद करती हैं।

हिंदी कहानियाँ हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो हमें अपनी जड़ों से जोड़ती हैं और हमारी पहचान को मजबूती से प्रकट करती हैं। यह न केवल हमारी भाषा, साहित्य और धार्मिकता का प्रतीक हैं, बल्कि यह हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि को भी प्रकट करती हैं।

हिंदी भाषा का ज्ञान, साहित्यिक विरासत का हिस्सा हैं हिंदी कहानियां। ये कहानियां हमें मनोरंजन का सौभाग्य देती हैं, साथ ही हमें सीख और प्रेरणा भी देती हैं। चाहे वो बचपन की कहानियां हों या आधुनिकतम समय के उपन्यासों की, हिंदी कहानियां हमेशा रंग-बिरंगी और अद्वितीय होती हैं।

आजकल जब हम अपने आसपास देखते हैं, तो हमें इंटरनेट की दुनिया में हजारों से अधिक कहानियों का संग्रह मिलता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपके लिए एक अद्वितीय हिंदी कहानियों का संग्रह लाये हैं। हमारे संग्रह में विभिन्न प्रकार की कहानियां शामिल हैं, जैसे – रोमांचक कहानियां, भूतपूर्व कहानियां, नैतिक कहानियां, और अन्य रोचक कहानियां। ये कहानियां हमें न केवल आनंद देती हैं, बल्कि हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं।

जब हम हिंदी कहानियों के सम्पर्क में आते हैं, तो हमें भारतीय संस्कृति, रीति-रिवाज़, नैतिकता, और आदर्शों की अनदेखी दुनिया का अनुभव होता है। ये कहानियां हमें एक-दूसरे की समझ, प्रेम, विश्वास, और सहयोग के महत्व को सिखाती हैं।

हिंदी कहानियों (Story in hindi) की शक्ति उनके प्रभावी कथाप्रणाली में छिपी होती है। ये कहानियां एक विशेष संदेश को सामरिक और विशेष ढंग से प्रस्तुत करती हैं। हिंदी कहानियां हमें एकता, बनावट, समझौता, और मानवीय गुणों की महत्वपूर्णता को सिखाती हैं।

इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको विभिन्न शैलियों, विचारों, और संदर्भों में हिंदी कहानियों की दुनिया में ले जाएंगे। इन कहानियों के माध्यम से हम सभी को एकजुट करेंगे, हमारी सांस्कृतिक विरासत का गर्व बढ़ाएंगे, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

हिंदी कहानी संग्रह

शेर और चूहा की कहानी

एक समय की बात है, जंगल में एक शेर और एक चूहा रहता था। शेर बहुत ही ताकतवर और खूंखार था। जंगल के सभी जानवर शेर से डरते थे। जबकि चूहा बहुत ही नटखट और शरारती था।

एक दिन शेर अपनी गुफा में मज़े से सो रहा था। और चूहा अपनी मौज-मस्ती में शेर की गुफा के अंदर चला गया। चूहा बहुत ही शरारती था। उसने शेर को अंदर सोता हुआ देखकर बिना सोचे समझे वहां उछल कूद करने लगा।

थोडी देर बाद चूहे को एक नटखट विचार आया और वह शेर के ऊपर कूदने लगा। अचानक, शेर जाग उठा और उसने चूहे को अपने पंजों से दबोच लिया। चूहा डर कर रोने लगा और विनती की कि शेर उसे छोड़ दें। चूहे ने कहा कि अगर आपको भविष्य में ज़रूरत पड़ेगी तो मैं आपकी मदद करने आ जाउंगा।

शेर चूहे की इस बात पर हंसने लगा और चूहे से पूछा, “तू इतना छोटा होकर मेरी क्या मदद कर सकता है?” चूहा नम्रतापूर्वक बोला, “हर जीव कुछ न कुछ अपने आप में खास होता है, क्योंकि हर किसी की आपस में मदद करने की क्षमता होती है। अगर आप मुझे छोड़ देंगे तो एक दिन मैं आपकी मदद कर सकता हूं।”

शेर ने थोड़ी देर सोच विचार करने के बाद चूहे को छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद, शेर शिकार करते समय एक शिकारी के जाल में फंस गया। शेर अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करने के बावजूद भी जाल से नहीं निकल पा रहा था। कुछ घंटों तक लगातार कोशिश करने के बाद भी वह शिकार के जाल से नहीं निकल पाया।

शेर बुरी तरह थक चुका था और उसमें अब ज्यादा शक्ति नहीं बची थी। शेर जाल से निकलने की उम्मीद छोड़ चुका था। उसे लगा कि अब उसका अंत निकट आ गया है और इसी के साथ शेर ने अपनी पूरी ताकत के साथ बहुत तेज गर्जना की। शेर की दहाड़ से सारा जंगल गूंज उठा।

चूहे ने जब शेर की दहाड़ सुनी तो वह दौड़ते हुए शेर की मदद करने पहुंचा। चूहे ने देखा कि जाल में फंसने की वजह से अत्यधिक घायल हो गया था। चूहे ने नुकीले दांतो से जाल को काट दिया और शेर को से मरने से बचा लिया।

शेर ने चूहे का धन्यवाद किया और कहा, “तूने जो कहा था, वह सच निकला। छोटे आकार में भी तूने मुझे बचा लिया।” चूहे ने कहा, “राजन, हर जीव आपस में जुड़ा हुआ है और हमें एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए। हमेशा बड़े-बड़े कामों को ही महत्व न देना चाहिए, छोटी-छोटी मदद भी बड़ी मायने रखती है।”

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर जीव की अपनी अहमियत होती है और हमें दूसरों का सम्मान करना चाहिए। चाहे छोटा हो या बड़ा, हर जीव की योग्यता और मदद करने की क्षमता को हमेशा महत्व देना चाहिए।

एक लड़का और गिलहरी की कहानी

एक समय की बात है, गांव में एक गरीब लड़का रहता था। उसके माता-पिता दिव्यांग इसलिए पूरे घर का भार उस लड़के के कंधों पर था। वह बहुत मेहनती और कुशल किसान था। उसके पास एक छोटी सा खेत था जिससे वह अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करता था।

एक बार, उसने अपनी खेत में बहुत सारे बीज बो डाले। वह उम्मीद कर रहा था कि इस बार फसल की पैदावार खूब होगी। वह अपनी फसल को पानी देने के लिए पूरी तरह से बारिश पर निर्भर था। लेकिन दुर्भाग्य से बारिश नहीं हुई और उसकी फसल सूख गयी और धीरे-धीरे नष्ट होने लगी। वह निराश हो गया और अपनी संघर्षों से पराजित महसूस करने लगा।

वह एक पुराने पेड़ के नीचे बैठ गया और अपनी तकलीफों के बारे में सोचने लगा। तभी एक गिलहरी उस लड़के के पास आकर बैठ गयी। गिलहरी ने लड़के से पूछा, “तुम इतना उदास क्यों हो? क्या हुआ?”

लड़के ने गिलहरी की ओर देखा और बोला कि मेरी पूरी फसल सूख गई है, और अगर इस बार फसल की कुछ भी पैदावार नहीं हुई तो मैं अपने परिवार की जरूरतों को कैसे पूरा करूंगा?

गिलहरी ने ध्यान से लड़के की बातों को ध्यान से सुना और लड़के से कहा कि तुम निराश मत हो, बल्कि एक नई योजना बनाओ। गिलहरी ने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा मैं आकार छोटी इतनी छोटी हूं, लेकिन मैं कभी हार नहीं मानती। मैंने पेड़ के शिखर पर पहुँचने के लिए बहुत संघर्ष किया है। मैं कई बार नीचे गिरी लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। और आखिरकार शिखर तक पहुंचने में सफल रही।

लड़के ने गिलहरी की बात को ध्यान से सुना और उससे प्रेरणा ली। लड़के ने कहा कि हाँ, मैं भी नहीं मानूंगा। मैं एक नयी योजना बनाउंगा और अपनी फसल को ऐसे ही नष्ट नहीं होने दूंगा।

उसने अपनी खेती के बारे में सोचा और एक नया तरीका खोज निकाला। वह अपनी फसल को पानी देने के लिए खुद एक कुआं खोदने लगा। उसने कठिनाईयों का सामना किया, लेकिन अपनी मेहनत और संघर्ष के बावजूद उसे सफलता मिली। उसकी फसल अब पूरी तरह पक गयी और उसे काफी अच्छी पैदावार मिली।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हारने से पहले आपको नई सोच बनानी चाहिए और उदास होने की जगह मेहनत और संघर्ष करना चाहिए। हर मुश्किल से जूझने के बाद सफलता की खोज मिलती है और आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

महात्मा और अमृत के रहस्य की कहानी

एक समय की बात है। एक छोटे से गांव में एक गरीब परिवार रहता था। इस परिवार में एक बहुत ही चतुर और ज्ञानी लड़का था, जिसका नाम रामू था। रामू ओर लड़कों की तरह ही दिनभर खेतों में अपने बापू की मदद करता था।

एक दिन, गांव में एक विद्वान महात्मा आये। गांव के लोग उन्हें बहुत सम्मान देते थे। महात्मा प्रतिदिन एक पेड़ के नीचे सभी गांव वालों को प्रवचन दिया करते, और गांव के लोग भी उनसे अपनी समस्याओं का हल पूछते थे। रामू भी अपने मित्रों के साथ उस स्थान पर पहुंचा।

महात्मा ने लोगों से एक प्रश्न पूछा कि यहां पर कोई ऐसा व्यक्ति है जो मेरे सवाल का सही जवाब दे सके? सभी लोग चुपचाप खड़े रह गए। कोई भी सही जवाब नहीं दे पाया। फिर महात्मा ने कहा, “यदि कोई मुझे सही उत्तर दे देता है, तो मैं उसे अपनी अमृत दवा दूंगा जो उसे हमेशा तक खुश और स्वस्थ रखेगी।”

रामू अपने मित्रों के कहने पर इस मौके का लाभ उठाते हुए महात्मा के पास गया। उसने कहा, “स्वामीजी, मैं आपके प्रश्न का उत्तर दे सकता हूं।” महात्मा ने खुशी से कहा, “अच्छा, तो बताओ कि जीवन का सबसे बड़ा रहस्य क्या है?”

रामू ने थोड़ी देर सोचा और फिर कहा, महात्मा जी, जीवन का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि हमें हमेशा खुश रहना चाहिए। चाहे हमारे पास धन हो या न हो, स्वास्थ्य हो या न हो, खुश रहने का रहस्य हमारे मन में ही होता है।

महात्मा ने रामू को आदरपूर्वक देखा और कहा, तुमने बिल्कुल सही उत्तर दिया है, मेरे बेटे। यही है जीवन का एकमात्र रहस्य। खुश रहें, खुश रहने की कला को सीखें और खुश रहते हुए दूसरों की सहायता करें। इसी से तुम अमृत दवा के हकदार बनोगे।

रामू बहुत खुश हुआ और महात्मा की बातों को ध्यान से सुनते हुए गांव लौट आया। वह अपने बापू को सबकुछ बताया और सभी लोगों ने उसके सामर्थ्य और समझ की प्रशंसा की।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा खुश रहने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में धन, स्वास्थ्य, यश आदि के बावजूद हमारी सच्ची संतुष्टि और खुशी हमारे अंदर ही होती है। हमेशा दूसरों की मदद करने और उनकी खुशियों में हिस्सेदार बनने का प्रयास करें। इससे हम अपने आप में और अपने आस-पास के लोगों में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

खुशबूदार बगीचे की कहानी

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक बहुत ही सुन्दर और खुशबूदार बगीचा था। उस बगीचे में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे थे। उन पेड़-पौधों पर बहुत ही सुन्दर फूल खिल रहे थे और सभी वृक्ष मीठे और रसीले फलों से लदे हुए थे।

इस बगीचे के मालिक ने इसे बहुत मेहनत और प्यार से संभाला रखा था। वह हर दिन पेड़ों को पानी दिया करता और उनकी देखभाल करता था। वह बगीचे की देखभाल में बहुत खुश था और इसे अपनी सबसे अनमोल संपत्ति मानता था।

एक दिन, एक छोटी सी लड़की ने उस बगीचे के बारे में सुना और उसे देखने की इच्छा जताई। उसने बगीचे के मालिक से पूछा, क्या मैं आपके बगीचे को देख सकती हूं?

मालिक ने उसे मुस्कुराते हुए कहा, हां, बिल्कुल! आओ, मैं तुम्हें अपनी इस सुंदर बगीचे को दिखाता हूं।

लड़की बगीचे के मालिक की बात सुनकर खुश हो गई और खुशी से दौड़ते हुए बगीचे में घुस गई। वह बगीचे की सुंदरता से बहुत प्रभावित हुई और ख़ुशी से नाचने लगी। वह देख रही थी कि हर फूल, पेड़ और पौधा उसके साथ ख़ुशी से बोल रहा है, हमें भी देखो, हम यहां हमेशा ख़ुश रहते हैं।

लड़की बगीचे की सुंदरता से अत्यधिक प्रभावित हुई और उसने विचार किया, ये अद्भुत है! ये फूल, पेड़ और पौधे अपने आप में कितने सुंदर हैं, और वे मुझे एक बड़ा सबक सिखा रहे हैं।

उसने बगीचे के मालिक से पूछा, क्या मैं कुछ फूल और पौधे ले जा सकती हूं? मालिक ने मुस्कुराते हुए अनुमति दे दी और उसे एक थैली में कुछ फूल और पौधे दिए और कहा, तुम बगीचे के फूल-पौधौ को अपने घर ले जाओ, लेकिन उनका ध्यान रखना मत भूलना और उनकी देखभाल करना।

लड़की बहुत खुश थी और अपने घर लौट आई। उसने फूलों को अपने कमरे में रखा और पौधों को अपने घर की बालकनी में गमलों में लगा दिया। वह उनकी देखभाल करने लगी। वह उन्हें रोजाना पानी देती और प्यार से उन्हें संभाल रही थी।

कुछ दिन बाद, उसने देखा कि पौधों के सुंदर फूल खिलने लगे। उनके रंग और सुगंध बढ़ गई थी। वे बड़े सुंदर और प्रभावशाली दिखने लगे थे।

लड़की ने समझा कि सचमुच मेहनत, प्यार और देखभाल से ही ये फूल खिलते हैं और अपनी सुंदरता को प्रदर्शित करते हैं।

यह कहानी हमें यह बताती है कि हमें सभी की सुंदरता की कदर करनी चाहिए, और हमें सभी को प्यार और सम्मान देना चाहिए। हमारा सच्चा सौंदर्य हमारे व्यवहार, कर्म और समझदारी में छिपा होता है।

चुनौती का सामना कहानी

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब परिवार रहता था। इस परिवार में एक माता-पिता और उनके दो बच्चे थे – राजू और सीता। वे सब मिलकर बहुत मेहनत करके अपने दिनचर्या चलाते थे और अपने सपनों की पूर्ति के लिए लगातार संघर्ष करते थे।

राजू और सीता बहुत प्यारे भाई-बहन थे। वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करते और संगठन करते थे। एक दिन, उन्होंने एक पुरानी किताब खोजी जिसमें विभिन्न पटकथाओं की कहानियां थीं।

वे खुशी-खुशी किताब पढ़ने बैठ गए और एक पटकथा में पढ़ने लगे। यह कहानी एक जंगल में रहने वाले एक सिंह की थी। वह बहुत बड़ा और शक्तिशाली था। वह जंगल के राजा के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए अपनी पहचान साबित करने की इच्छा रखता था।

राजू और सीता ने खुशी-खुशी उस कहानी को पढ़ते हुए यह नोट किया कि सिंह ने अपनी पहचान साबित करने के लिए अपनी बहादुरी दिखाने की कोशिश की और बहुत सारे चुनौतियों का सामना किया।

उन्हें यह समझ में आया कि यह कहानी एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आई है। वे भी अपनी पहचान साबित करने के लिए कुछ करना चाहते थे। उन्होंने सोचा कि क्यों न वे एक चुनौती लें और उसे पूरा करें?

उन्होंने तय किया कि वे भी खुद को साबित करने के लिए एक चुनौती का सामना करेंगे। उन्होंने गांव के बीच में लगे सबसे बड़े पेड़ पर चुनौती स्वरूप चढ़ने का फैसला लिया। यदि वे यह दिखा सकते हैं कि वे इस चुनौती का सामना कर सकते हैं, तो वे अपनी पहचान साबित कर सकते हैं।

राजू और सीता ने अपनी चुनौती की घोषणा कर गांव के सभी लोगों को इसके बारे में बताया। उन्हें बहुत खुशी हुई क्योंकि अब वे साथी बनकर एक महत्वपूर्ण कार्य करने जा रहे थे।

उन्होंने ने पेड़ पर चढ़ने के लिए कड़ी मेहनत की, बहुत बार पेड़ से नीचे भी गिरे और उनको कई चोटें भी आई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वे पेड़ के ऊपर चढ़े, उसे पूरी तरह से पर किया और फिर सफलता के साथ नीचे उतर आए।

उन्होंने गांव के सभी लोगों को अपने सामर्थ्य और एकजुटता का परिचय दिया और साबित कर दिया कि अगर एक बार दृढ़ निश्चय कर लिया तो वह उसे पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। राजू और सीता ने अपनी पहचान साबित कर दी और उन्हें लोग बहुत सम्मान देने लगे।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें चुनौतियों का सामना करने और अपनी पहचान साबित करने के लिए मेहनत करनी चाहिए। हमें दृढ़ता, संघर्ष और एकजुटता की आवश्यकता होती है ताकि हम सफलता को हासिल कर सकें।

संगति का असर कहानी

एक समय की बात है, एक बार एक राजा अपने सैनिकों के साथ कहीं पर जा रहा था। रास्ते में उन्हें एक जंगल से गुजरना था। राजा ने जंगल में थोड़ी दूर तक चलने के बाद एक विशाल वृक्ष के नीचे थोड़ी देर रुक कर आराम करने का फैसला लिया।

उस विशाल वृक्ष के पास राहगीरों को लूटने वाले डाकुओं का एक गुप्त स्थान था। डाकूओ के पास एक तोता था, जो उस पेड़ पर बैठकर आसपास की जगहों की निगरानी करता था। जब भी कोई राहगीर उस रास्ते से गुजरते थे, तो वह तोता डाकूओ को सूचित कर देता और डाकू राहगीरों को लूट लिया करते थे।

जैसे ही राजा और उसके सैनिक उस पेड़ के पास पहुंचे तो वह तोता जोर-जोर से चिल्लाने लगा:- ‘राजा आया, राजा आया, लूटो-लूटो, राजा आया’। यह सुनकर सभी डाकू बाहर आ गए और राजा की तरफ दौड़े। यह देखकर राजा और उसके सैनिक वहां से भाग खड़े हुए।

थोड़े समय तक दौड़ने के बाद राजा और उसके सैनिक जंगल से बाहर निकल गए और उन्होंने देखा कि अब डाकू उनका पीछा नहीं कर रहे हैं। राजा और सैनिक इतनी दूर तक दौड़ने से काफी थक गए थे। उन्होंने फिर से एक पेड़ के पास आराम करने का फैसला लिया।

जैसे ही राजा और उसके सैनिक पेड़ के पास पहुंचे तो उस पेड़ पर बैठा एक तोता विनम्रता से बोला- हे राजन आप काफी थके हुए लग रहे हैं। अगर आप चाहे तो आप हमारे साधु महात्मा की कुटिया में थोड़ी देर आराम कर सकते हैं।

यह सुनकर राजा को काफी आश्चर्य हुआ, और सोच में पड़ गया कि एक ही जाति के 2 जीवो के व्यवहार में इतना परिवर्तन कैसे हो सकता है। राजा साधु की कुटिया में जाने के लिए राजी हो गए। राजा ने कुटिया में साधु को आदर पूर्वक प्रणाम किया और साधु महात्मा को अपनी पूरी कहानी बताई।

राजा ने साधु से पूछा कि, महात्मा! एक ही जाति के दो जीवो के व्यवहार में इतना परिवर्तन कैसे हो सकता है? साधु महात्मा ने राजा की पूरी कहानी को बड़े ध्यान से सुना और मुस्कुरा कर बोले- राजन! यह तो बस संगति का असर है।

डाकुओं के साथ रहकर वह तोता भी डाकुओं की तरह व्यवहार करने लगा है और उनकी ही भाषा बोलने लगा है। अर्थात जो भी जीव जिस वातावरण में रहता है वह वैसा ही बन जाता है और वैसा ही व्यवहार करने लग जाता है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी संगति सोच समझकर चुननी चाहिए। हमें अच्छे लोगों के साथ ही व्यवहार और मित्रता रखनी चाहिए और मूर्ख लोगों से दूर रहना चाहिए।

एक हाथी और रस्सी कहानी

एक बार रमेश एक रास्ते से गुजर रहा था। रमेश ने रास्ते के नजदीक एक हाथी को देखा, जो कि शरीर में बहुत ही विशालकाय और ताकतवर दिख रहा था।

कुछ समय बाद रमेश ने गौर किया कि वह हाथी सिर्फ एक मामूली सी रस्सी से बंधा हुआ था। यह देखकर रमेश दंग रह गया और सोचने लगा कि यहां हाथी इतना विशाल और ताकतवर है, यह तो इस रस्सी को आसानी से तोड़कर यहां से भाग सकता है। फिर आखिर क्यों यह इस कमजोर रस्सी से बंधा हुआ है।

थोड़ी देर बाद उस हाथी का मालिक वहां पहुंच गया। रमेश ने हाथी के मालिक से पूछा, भाई साहब! यह हाथी में देखने में तो बहुत ही हष्ट पुष्ट और शक्तिशाली लग रहा है। फिर भी यह इतनी कमजोर रस्सी से कैसे बंधा हुआ है, यह तो इसे आसानी से तोड़कर यहां से भाग सकता है।

हाथी के मालिक ने रमेश की बात को ध्यान से सुना और मुस्कुरा कर कहा कि यह हाथी जब बहुत छोटा था, तब से मेरे पास है। और मैं तब भी इसे इसी रस्सी से बांध कर रखता था। जब यह छोटा था, तब उसने रस्सी को तोड़ने की कई प्रयास किए। लेकिन उस समय यह कमजोर था और उस रस्सी को नहीं तोड़ पाया।

कुछ समय तक प्रयास करने के बाद हाथी ने मान लिया कि वह इस रस्सी को नहीं तोड़ सकता। आज यह हाथी इतना बड़ा और शक्तिशाली है कि यह इस रस्सी को तो क्या किसी भी लोहे की जंजीर को आसानी से तोड़ सकता है, लेकिन बचपन से इसके दिमाग में यह धारणा बन गई है कि यह रस्सी को नहीं तोड़ सकता और इस वजह से यह इस रस्सी को तोड़ने की कोशिश भी नहीं करता।

इस प्रकार पानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम किसी भी व्यक्ति या जानवर को बचपन से जिस वातावरण में ढालते हैं वह उसी वातावरण के अनुरूप ढल जाता है।

दर्जी और हाथी कहानी

एक बार की बात है, एक जंगल के पास एक गांव था। उस गांव में एक दर्जी रहता था। दर्जी की दुकान पर जंगल से रोज एक हाथी आया करता था। दर्जी को उस हाथी से बहुत ही लगाव था और वह रोज उसे कुछ ना कुछ खाने के लिए दिया करता था।

हाथी रोज दर्जी की दुकान पर जाता और अपनी सूंड अंदर देता। और दर्जी उसे कुछ फल खाने के लिए देता था। एक दिन की बात है, किसी कारणवश दर्जी दुकान पर नहीं आ सका। और दर्जी ने अपने बेटे को दुकान पर भेज दिया।

रोजाना की तरह ही हाथी दुकान पर आया और उसने अपनी सूंड दुकान के अंदर दी। दर्जी के बेटे ने जब हाथी को देखा तो उसने फल देने की बजाय उसकी सूंड में सुई चुभा दी। इससे हाथी काफी गुस्सा हो गया।

हाथी गुस्सा होकर दुकान से जंगल की ओर चल दिया। हाथी ने दर्जी के बेटे को सबक सिखाने की ठान ली। जंगल में एक तालाब था। हाथी उस तालाब के पास गया और वहां से उसने अपनी सूंड में कीचड़ भर लिया।

हाथी वापिस दर्जी की दुकान पर गया और उसने अपनी सूंड़ में भरे कीचड़ को पूरे दुकान में फैला दिया। कीचड़ से दुकान के सारे नए कपड़े और दर्जी का बेटा गंदा हो गया।

इतने में ही वहां पर दर्जी आ गया। दर्जी दुकान की हालत देख कर चौक गया। दर्जी के बेटे ने दर्जी को सारी बात बताई और कहा कि मैंने हाथी की सूंड में सुई चुभा दी, इसलिए उसने दुकान में कीचड़ डाल दिया।

यह सुनकर दर्जी ने हाथी से माफी मांगी और अपने बेटे को आगे भविष्य मे ऐसी ग़लती दुबारा न करने के लिए कहा। इसके बाद दर्जी ने हाथी को कुछ फल खाने के लिए दिए और हाथी खुशी-खुशी वापस जंगल लौट गया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी के भी साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए और हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए। क्योंकि आप जैसा करोगे वैसा ही भोगना पड़ेगा।

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